बच्चों की मानसिक स्थिति को कैसे समझे – How to understand the mental state of children

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आज हम उन बच्चो के बारे में बात करेंगे जो चिड़चिड़े, परेशांन, रूखेपन से बात करते है और उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है और हमेशा परेशांन रहते है.

हम अपने घर बाहर के काम में इतना व्यस्त हो जाते है की अपने बच्चो पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते है जिसके कारण बच्चे पेरेंट्स से दूर हो जाते है, डिप्रेशन और तनाव जैसी समस्या से घिरने लगते है. पेरेंट्स अगर बच्चो से बात नहीं करते है. उनके साथ वक़्त नहीं गुजरते है तो उन्हें लगता है की उनको कोई ध्यान नहीं रखता है और उनको यह एहसास होने लगता है की उनके होने न होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है. और धीरे- धीरे बच्चे आपसे दूर होने लगते है. और वो डिप्रेशन के शिकार होने लगते है.

इसलिए हमे चाहे कितना भी कम क्यों न हो, लेकिन कुछ वक़्त बच्चों के लिए जरूर निकाले, ताकि बच्चे कभी ये न समझे कि वो अपने ही घर में अकेले है. उन्हें बोरिंग फील न हो वो खुलकर आपसे बात करे. आपके प्रति उनका स्वाभाव अच्छा रहे और उनका पढ़ने में मन लगे.

तो आइये जानते है कुछ सहज उपाय जिसे आप अपने बच्चों को डिप्रेशन से दूर रख सकते है.

पहला – सबसे पहले आप अपने बच्चो के साथ थोड़ा वक़्त गुज़रे और उनके मनपसंद चीज़ों के बारे में बात करे, इससे उनको आपके होने का अहसास होगा. इससे बच्चे आपसे खुलकर बाते करेंगे और कोई परेशानी भी होगी तो वो खुल कर आपको बताएगे.

दूसरा – आप थोड़ा वक़्त बच्चों के साथ खेलने में बिताए जिससे वह आपको अपने साथ पाये. क्योंकि ज्यादातर पेरेंट्स काम करते है कुछ माँ भी कम करती है, तो अगर आप रोज वक़्त नहीं निकाल पाते है तो हफ्ते में एक दिन तो जरूर निकाल सकते है, वो दिन है रविवार, हम पेरेंट्स करते क्या है की आज रविवार है तो ये सोचते है की आज तो कुछ नहीं आराम करते है और सप्ताह भर की थकन के चक्कर में बच्चों पर हम ध्यान नहीं देते है ये गलत बात है,आखिर बच्चे के जिम्मेदारी भी हमारी है. इसलिए सुबह का 1 घण्टा बच्चो के साथ खेले, शाम को उनके साथ थोड़ी देर बाहर घूमे. इससे बच्चे का मन खुश रहेगा, अगर आप उनको वक़्त नहीं देते तो बच्चे बाहर खेलने की वजह ऑनलाइन गेम खेलने लगते है, जैसे पब जी. इनकी लत काफी खरतनाक है. इससे बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता है और बच्चे आप से दूर होते जायेंगे, वे परेशांन रहने लगते है और बच्चे तनाव या डिप्रेशन के शिकार हो जाते है इसलिए हमे बच्चो के साथ रोज थोड़ी देर खुलकर बात करनी चाहिए.

तीसरा – बच्चो की पढाई की देख रेख भी हमे करनी चाहिए. अगर आप बच्चे पर सही समय पर ध्यान नहीं देते है तो आपका बच्चा पढ़ाई में पीछे हो जाता है. क्लास में टीचर से डांट, घर पर पेरेंट्स की डांट. इन सब बातों को सोचकर बच्चे टेंशन में रहने लगते है और धीरे- धीरे डिप्रेशन के शिकार होने लगते है. इसलिए आपको अपने बच्चे की पढ़ाई में मदद करनी चाहिए और उनके पढ़ते वक़्त साथ में बैठे और ये जाने की उन्हें क्या परेशानी हो रही है और उनकी मदद करे. इससे आपका बच्चा अपनी प्रॉब्लम आपसे शेयर करेगा, और उसे आपसे बात करने की हिम्मत मिलेगी. इससे बच्चे तनाव से दूर रहेंगे.

चौथी – आखरी बात जो बहुत जरुरी है बच्चों के खान पान के साथ साथ शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी बहुत जरुरी है. बच्चे अक्सर चटपटा बाहर का खाना पसंद करते है. अगर आप बाहर का खाना नही खिलते तो मानसिक समस्या और खिलते है तो शारीरिक समस्या. इसके लिए आपको करना क्या होगा. थोडा वक़्त लगेगा लेकिन बाहर के खाने से हेअल्थी आप घर पर ही बनाए, समोसे, मग्गी. जो भी बच्चों को पसंद हो. इससे बच्चों की हेल्थ तो ठीक रहेगी साथ ही बच्चे खुश भी रहेंगे. इससे बच्चों की मानसिक स्थिति ठीक रहेगी और तनाव और डिप्रेशन से बचे रहेंगे.

तो ये सब तरीके से आप अपने बच्चों की मानसिक स्थिति पर ध्यान रख सकते है.